ALL POINTS OF BADEN POWELL
बेडन पावल की जीवनी
विश्व
के सबसे बड़े बर्दीधारी शैक्षिक आन्दोंलन (स्काउटिंग) के संस्थापक लार्ड बेडन पावल
का नाम स्काउट/गाइड जगत में सदैव याद रहेगा। उनके सम्बन्ध में संक्षेप में कुछ जानकारी
यहाँ दी जा रही है।
पूरा नामः- राॅबर्ट
स्टीफेन्सन स्मिथ बेडन पावल।
प्रचलित नामः- लाॅर्ड बेडन पावल (बी.पी.)
जन्मः- 22 फरवरी 1857 इंगलैण्ड में हुआ। जोकि हम उस दिन को (थिंकिंग डे)
के रूप में मनाते है।
जन्म स्थानः- 6 स्टेन पोल टैरेस लंदन (इंग्लैण्ड)।
वर्तमान नाम:- स्टेन पोल टैरेस लंदन (इंग्लैण्ड)।
पिताः- रेवरेण्ड प्रो. हरबर्ट जाॅर्ज बेडन पावल।
माताः- हेनरीटा गे्रस स्मिथ।
पत्नीः- मिसेज आलेवसेंट क्लेयर सोम्स (लेडी बेडन पावल)।
बी.पी.
का जन्म 22 फरवरी 1857 को स्टेनपोल स्ट्रीट, लैकेस्टर गेट लन्दन जिसे अब स्टेनपोल टैरेस
लन्दन प0 2 कहा जाता है। में रेवरेन्ट प्राघ्यापक हबर्ट जाॅर्ज बेडन पाॅवेल के घर हुआ।
वे आॅक्सफोर्ड विश्वविघालय में रेखागणित के प्रध्यापक थे जो आस्तिक, सादगी प्रिय तथा
प्रकृति प्रेमी थे। उनकी माता हेनरिट्टा ग्रेस स्मिथ ब्रिटिश एडमिरल की पुत्री थी जो
स्नेहमयी कर्मठ, विदुशी महिला थी।
बी.पी. की शिक्षा चार्टर हाउस स्कूल
में हुई। चार्टर हाउस में वह 1870 में छात्रवृति लेकर प्रविष्ट हुए। जहाँ उन्हे ‘बेदिंग
टावल’ के नाम से
पुकारा जाता था। वे इस स्कूल में एक प्रसिद्ध फुटबाॅल ‘गोलकिपर’ रहे। वे
एक अच्छे नायक, नाटककार तथा कलकार थे। 1876 में सेना अधिकारियों की भर्ती प्रतियोगिता
में 718 अभयर्थियों में से कैवलरी में दूसरे और इनफैन्टी में पांचवे स्थान पर उत्र्तीण
हुए। अतः उन्हें प्रशिक्षण से मुक्त कर 13वीं हुसार्स रेजीमेन्द लखनऊ (भारत) में सब
लेफ्टीनेन्ट पद पर नियक्ति मिली। सन् 1883 में 26 वर्ष की अवस्था में वे कैप्टन हो
गये। घुड़सवारी, सुअर का शिकार करना, स्काउटिंग तथा थियेटरों में भाग लेना उनके प्रमुख
शौक थे।
बी.पी.
को स्काउटिंग की प्रेरणा 1899-1900 में दक्षिण अफ्रिका की एक घटना से प्राप्त हुई।
दक्षिण अफ्रिका में मेफकिंग सामरिक महत्व का एक महत्वपूर्ण कस्बा था। जहां 1500 गोरे
और 8000 स्थानीय लोग रहते थे, हाॅलैण्ड निवासी डच लोग जिन्हें यहां बोअर के नाम से
पुकारा जाता था, इस महत्वपूर्ण कस्बे को अपने अधीन लेना चाहते थे। की कहावत वहां प्रचलित
थी। बोआरों की 9000 सेना ने मेफकिंग को घेर लिया। बी.पी. के पास अंग्रेजी सेना में
कुल मिलाकर एक हजार सैनिक थे जिसके पास मात्र आठ बन्दूकें और थोड़ा सा डाइनामाइट था।
अपनी युक्ति से बी.पी. ने 217 दिन तक बोआरों को कस्बे में घुसने नहीं दिया। 17 मई
1900 को इंगलैंड से सैनिक सहायता प्राप्त होने के पश्चात बी.पी. ने बोआरों पर विजय
प्राप्त की। इस विजय का पूर्ण श्रेय बी.पी. को जाता है। इस विजय की एक प्रमुख घटना
यह रही थी कि बी.पी. के स्टाफ आॅफिसर लाॅर्ड एडवर्ड सिसिल ने मेफकिंग के 9 वर्ष से
अधिक उम्र के लड़कों को इकट्ठा कर एक कैडेट काॅप्र्स या बाल सेना तैयार कि जिन्हें
प्रशिक्षित पर और वर्दी पहनाकर संदेश वाहक, अर्दली, प्राथमिक चिकित्सा आदि कार्यांे
में लगा दिया था तथा उनके स्थान पर लगे सैनिकों को सीमा पर लड़ने के लिये मुक्त कर
दिया। गुड यीयर नामक सार्जेन्ट मेजर ने नेतृत्व इन लड़कों का कार्य अद्वितीय रहा। इनका
साहस चुस्ती फुर्ती देखते ही बनते थे। लार्ड सिविल के इस प्रयोग ने, बी.पी. को प्रभावित
किया। इस घटना से प्रेरित होकर उन्होंने एड्स टु स्काउटिंग नामक पुस्तक लिखी जो शीध्र
ही इंगलैंड के विद्यालयों में पढ़ाई जाने लगी इस पुस्तक से प्रभावित होकर मि0 स्मिथ
ने बी.पी. से लड़कों के लिये स्काउटिंग की एक योजना बनाने का आग्रह किया। परिणाम स्वरूप
1907 में इंगलिश चैनल में पूल हार्बर के निकट ब्राउनसीद्वीप में 29 जुलाई से 9 अगस्त
तक समाज के विभिन्न वर्गो विद्यालयों के 20 लड़कों का प्रथम स्काउट शिविर स्वयं बी.पी.
ने आयोजित किया। इस प्रयोगात्मक शिविर के अनुभवों को उन्होनें स्काउटिंग फार बाॅयज
नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में लिपिबद्ध कर दिया। इस पुस्तक के 26 कथानक बी.पी. द्वारा
शिविर तथा कैम्पफायर में कही गयी बातें तथा कहानियां है जिन्हें 6 पाक्षिक संस्करणों
में जनवरी 1908 से अप्रैल 1908 तक प्रकाशित किया गया।
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